Skip to main content

Posts

चल अकेला

चल अकेला

 

राह पर एक से एक शूल पड़े 

जग ने बोए या कांटों के पथ तूने चुने

चल छोड़ मानुष अब क्यो घबराता हैं

तू चल राह पर अकेला निडर

कल तेरा तेरे लिए फूल बरसाता हैं!!! 

 

होगी साथ नव उमंग जिगर में

नई लहर जीवन की साख डगर मे 

पल की डाल पर पके पीले पत्तो से क्यों घबराता हैं 

तू चल अकेला निडर 

सावन में हर रंग नया आता हैं

 

टूटते पेड़ों कि छांव में 

तूफानों से घबरा उठा 

झुँझला कर अपनो से रूठ उठा 

उम्र पड़ाव दहलीज पर सबकी आता है 

मन संभाले जो मानुष वो चिरंजीव को पाता है

तू चल अकेला मानुष 

वक्त तो सबके लिए आता है 

चल राह पर अकेला निडर

अब क्यो घबराता हैं 

कल तेरा तेरी राह पर फूल बरसाता हैं!!!

फूल बरसाता हैं!!!

फूल बसाता हैं!!! 

|||