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भगवान


भगवान 

 

दरिद्र, धनवान, रोगी, जोगी 

सब खड़े कतार में

करते ढिढोली 

जपते सब एक ही नाम 

कहते हर जन प्राण तेरे नाम 

 

कण कण सा मानुष 

जंगल जंगल घूम गया

भगवे रंग में झूम गया 

पर दे दे जो मांगें प्राण 

ऐसे अमर योगी जजमान 

 

रूठते मानुष मान जाए

टूटे घर, तो महल हों जाए 

जग संरचना, समुंदर रचना

चाहें जो कर दे जजमान 

हंसी ठिठौली कर के जग में

भरते झोली एक समान

छू कर हर ले रोग अंजान 

दे दे जो मांगें प्राण 

कण कण सा मानुष ये भगवान 

ये भगवान, ये भगवान

ये भगवान, ये भगवान

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