बनो मेरे मीत
ढूँढा मैंने जग-जग सारा
ना प्रीत मिला, ना मीत मिला
संगीत में भी ना वो गीत मिला
जो प्रेम रस की राह दिखाए
क़ुछ अपना सा साथ निभाए
पर जो देखा तुम्हें
तो ऐसा लगा
तुम सुख का सागर
तुम ही हसीन
तुम ही कायनात
तुम हो संजीवन बूटी मेरी
तुम पर्वत हो प्रेम का
टूटे बांध का बंधा हो
नभ से टूटे कोई तारा
तो तुम्हारी आँखों में बसता हो ||
मै जहाँ भी जाऊ
जहाँ भी देखू
तुम ही तुम
मेरा घर तुम
आँगन तुम
रोशनदान तुम
दिवारों का रंग तुम
मेरा रास्ता तुम, साहिल तुम
तुम ही तुम
मेरा प्रतिबिंब भी तुम |
हो साथ तुम्हारा
तो हसीन ए जहां हो
बस फिर क्या बात हो
तो बनो मेरे मीत
तुम ही जीवन
तुम ही संगीत
तुम सा ना कोई यहां
ढूँढा मैने जग-जग प्रीत
बनो मेरे मीत ||
बनो मेरे मीत ||
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