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कश्मीर कली


कश्मीर कली

 

तुम खिलीं कश्मीर कली

उत्कर्ष हसीन-नाज़नीन

देखें तुम्हें बार-बार

मेरा घर चौखट आँगन द्वार ||

 

मधुबन मधुबाला सी

जब चले तो अप्सरा

लहरे तो जादुई परी ||

 

ए हसीन,ए नाज़नीन

जो जुल्फ़ तेरी ख़ुल जाएं

तो बहक जाएं सावन

लहरे उठे सागर में ||

गागर साजन सीने में

गरज उठे और बरसे आंगन में ||

जी भर आँगन भर ||

आँगन भर ||

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