अनकही बातें
कुछ दबी सी
अनकहीं बाते |
जो छुपाएं ना छुपाई जाए
बताए ना बताई जाये
कभी लफ्जो के सहारे से
तो कभी पलकों के इशारे से
पर कहे ना कहीं जाएं
ये बाते कुछ ऐसी
छुपाएं ना छुपाई जाए ||
कभी सिल्वटे होठों की
तो कभी लकीरें माथे की
कर रही कोशिशें
पर बात इस दिल की
बताएं ना बताई जाए
समझाए ना समझाई जाए
बस बह रही है
इन खामोश आंखों से
ये बातें कुछ ऐसी
पुरी समझी
जानी पहचानी
पर छुपाए ना छुपाई जाएं ||
बताए ना बताई जाए ||
|||