फूल ए चिराग़
अम्मा
की ख़्वाहिश थीं
एक
फूल ए चिराग़
घर
आले में रखा हो
लल्ला
मेरा फूल ए चिराग़ हो
आले
में रखा
जलता
धीमा धीमा
करें
दूर घर अँधेरा वो
जग
रोशन कोना कोना हो
लल्ला
मेरा फूल ए चिराग़ हो
हर
ख़्वाहिश उसी की मुरीद हो
पाक
ए साज़ ए हिंद हो
नाज़
ए हुकूमत ओ जन हो
ढूंढे
हर घर
पर
घर घर ना मिलता जो
हर घर की ख़्वाहिश हो
ऐसी
जग फरमाइश हो
अम्मा
कहें
लल्ला
हो तो फूल ए चिराग़ हो
चले
ऐसे की बहती नदियां अमृत धारा
छू:
ले जो उसे तो तृप्ती ए संसार हो
स्वभाव
ऐसा सुख सलोना हो
पर्वत
सी टक्कर
दे
ऐसा
दृढ़ ढिंढोरा हो
ऐसा
फूल ए चिराग़ सा लल्ला
मेरे
घऱ आले में रखा हो ||
मेरे
घऱ आले में रखा हो||
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